एक Proud indian..
आजकल एक होड़ सी लगी हुई है की भारतीयता पे कैसे कुठाराघात किया जाये। जो भी चीजे भारतीय संस्कृति में पूजनीय हैं उनका अपमान करके कैसे एक proud indian बना जाये। वासना और तामसिकता का मुकुट पहनकर निर्लज्ज वेश और भाषा पर गर्व करने वाला indian आज trending है। मर्यादा, सात्विकता शिष्टाचार आज उपहास के पात्र बन गए हैं।
एक indian कहता है #savetiger #dontkilldogs #catlovers वहीं लोग गौमांस के प्रतिबन्ध पे जैसे उनके मनवाधिकारों का जैसे हनन हो गया हो। ये #savecow बनके trend क्यों नहीं कर सकता। और गाय ही क्यों कम से कम जो जीव पूरा जीवन दूध पिलाके आपका पोषण करते हैं, अपनी खाद से मिटटी को सोना बनाते हैं उन्हें मारकर खाना हमारे जिव्हा के दास अपना मनवादिखर समझते हैं। ऐसा पशु रुपी मानव हत्या में भी गौरव की अनुभूति करता है।
जबतक हमारा दिल्लीवासी किसी माँ या बहन का अपनी भाषा से बलात्कार नहीं कर देता तबतक जैसे समाज उसे दिल्लीवासी ही नहीं समझता और कुछ लड़कियों का भी वही दोहराना और उसी नीचता की बराबरी करना शोभा देता है क्या ? जब नारी ही अपना अपमान करना आरम्भ कर देगी तो सम्मान कौन करेगा ?
जब पुरुष समाज को महिलाओं से अधिक कपड़ों में देखता हूँ तो गर्व होता है की कपड़ों का पतन अभी पुरुषों में कम हुआ है। नग्नता आज की नारियों का नया आभूषण बनता जा रहा है। क्या नारी की सुंदरता केवल नग्नता में है ? या मर्यादा बोझ लगने लगी है या माँ और देवी के सामान पूजनीय नारी sexy और hot लगना अधिक उचित समझती है। नग्नता आज सतीत्व का मापदंड क्यों बनता जा रहा है ? त्याग और शक्ति का प्रतीक नारी स्वार्थी और निर्बल क्यों हो गयी है। रानी लक्ष्मीबाई जैसी वीरांगनाओं की जगह जब वीरता को छोड़ नग्नता को पकड़ेंगे तो शिवाजी थोड़े जन्म लेंगे, वो तो वासना के ही पुजारी बनेंगे।
आर्यभट्ट जिन्होंने सबसे पहले गुरुत्वाकर्षण के बारे में बताया, सौरमंडल के बारे में बताया, आयुर्वेद जैसा शोध रुपी रत्न जिस देश उत्पन्न हुआ हो। अंकगणित, बीजगणित, शून्य को जन्म देने वाले देश का ज्ञान विज्ञान एवं शोध में शून्य हो जाना और सम्भोग जैसे विषयों पे देशव्यापी चर्चाये होना। देश मंगल पे पहुँच गया और लोग आज भी इंडियन आइडल, बिग बॉस ,सप्लीटज़विला से आगे कुछ सोच ही नहीं पा रहे हैं। ऐसे दिशाहीन इंडियन को आज भारतीय होने पे लज्जा आती है। इन्डियन हिंदी की जगह अंग्रेजी बोलने में गर्व अनुभव करता है। जहाँ लोग विकसित देशों में अपनी भाषा में सारा काम करते हैं और लोग जब उस देश में जाते हैं तो पहले वहां भी भाषा सीखते है पर हमसे अधिक हमारी मातृभाषा को शायद ही किसी और ने लज्जित किया होगा।
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Saturday, November 7, 2015
Proud Indian
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